देश धरम का नाता है
यह एक बहुत आकर्षक आवरण में लिफ्टी हुई किताब है । इस में विभिन्न गीतों के साथ जिसे मराठी में हम पवाडा कहते हैं, ऐसी भी रचना है । जो पवाडा लिखता है वो कोई भी काव्यविधा लिख सकता है । क्योंकि पवाडा लिखने को शब्दों का संचन बहोत मानी रखता है । पवाडा यह महाराष्ट्र का प्रसिद्ध लोकगायन है। इस किताब के पहले पन्ने से ही वो पाठक को अपनी शैलीसे चमत्कृत कर देते हैं । इस किताब के हर पन्ने पर उनके कलाका सौन्दर्य बिखरा पडा हैं । आप कहीं से भी इसे पढें, आप के मूँह से ‘वाह भाई वा’ लफ्ज जरुर निकलेंगे । वह अपने हर अशआर से हमें चमत्कृत करते हैं । जैसे की प्रौढ पाठशाला में पढने के लिए जानेवालों पर उन्होंने एक गीत लिखा है, उसमें -
क्या कहूँ मेरे भाई और बहनों, पढाई बिन बुरा हाल था
गाली लगती थी जिंदगी मेरी, अक्षर ज्ञान बिन कंगाल था
अब जिंदगी गाली लगना और ज्ञान के बिना कंगाल होना, ऐसे भाषा का प्रयोग बहुत कम देखने को मिलता है । आप उनकी शायरी में जीवन दर्शन भी बखूबी पाएंगे भ्रूणहत्या से लेकर साई दरबार तक और छत्रपती शिवाजी महाराज से लेकर राणा प्रताप तक सभी विषयों की उन्हे चाव हैं ।
- प्रदीप निफाडकर, पुणे