आधुनिक हिंदी साहित्य विविध परिप्रेक्ष्य
आधुनिक हिंदी साहित्य आज विकास के शिखरपर स्थापित हो चुका है। भारतीय साहित्य में हिंदी साहित्य की एक अलग पहचान हैं। हिंदी साहित्य उदयकाल से ही समाजोन्मुख तथा मानवतावादी प्रवृत्तियों से समृद्ध रही है। वैश्विक परिप्रेक्ष्यमें आज हिन्दी साहित्य ने महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है। अपनी एक पहचान बनायी है। हिन्दी साहित्यका महत्त्व बढा है। साहित्य की नई दिशाएँ विकसित हुई है। प्रस्तुत लेखनमें आधुनिक हिन्दी साहित्य विविध परिप्रेक्ष्य में लेखन तथा विचार तत्त्वों का नया स्वरूप पाठक को पढने को मिलेगा। इस पुस्तक में हिन्दी विधाओंका नया संशोधीत रूप है। इसमें आंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय स्तर के संशोधनात्मक लेख है। अनुसंधान लेख में हिंदी साहित्य पर प्रकाश डाला है। पाठक हिंदी साहित्यके विविध परिप्रेक्ष्य से परिचित होगा। विश्वभाषा हिन्दी, भूमंडलीकरण, इंटरनेट, साहित्य के विविध आयाम, दलित विमर्श, नारी विमर्श तथा आदिवासी विमर्श साहित्य की प्रासंगिकतापर सृजन किया है। आशा है यह आधुनिक हिन्दीसाहित्य के अध्ययन- अध्यापन करताओं के लिए यह ग्रंथ उपयोगी सिद्ध होगा।