प्रबंधकीय अर्थशास्त्र
प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र सम-सामायिक में एक महत्त्वपूर्ण विषय के रूप में उभर रहा है क्योंकि भारत सरकार उद्मिता पर अत्यधिक जोर दे रही है। जिसको नियंत्रित एवं प्रबन्धन करने की कला प्रस्तुत विषय में बताई एवं सिखायी गयी है। किसीभी व्यवसाय को चलाने हेतु चार एम की आवश्यकता होती है अर्थात् मैन पॉवर,मशीन, मनी एवं मटेरियल। इन चारों का प्रबन्धन ही उपर्युक्त तरीके से करना प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र विषय का लक्ष्य है। इस संदर्भ में प्रस्तुत पुस्तक से सम्बन्धित पाठ्यक्रम को सुगमता से समझने केलिए चार खण्डों में विभाजित किया है। प्रथम यूनिट उपभोगता एवं उपभोग से सम्बन्धित है। दूसरा यूनिट उत्पादन तथा पूर्ति से सम्बन्धित है। तीसरा यूनिट विनिमय अर्थात् बाज़ार से सम्बन्धित है तथा चैथी यूनिट में समष्टि स्तर परराष्ट्रीय आय एवं समयानुसार उसमें परिवर्तन की दर का विश्लेषण करने हेतु व्यापार चक्र को रखा है।